डेनमार्क के वैज्ञानिक CHAT GPT पर आधारित एक ऐसा AI टूल बना रहे हैं, जो मृत्यु की भविष्यवाणी कर सकेगा।
वैज्ञानिकों ने अभी तक 60 लाख से ऊपर लोगों का डाटा संग्रह किया है, और उसे पर शोध कर रहे हैं आईए जानते हैं इस AI टूल के बारे में
आज के समय में हर काम के लिए एक अलग AI टूल आ गया है, आपको चाहे कोई ट्रिप प्लान करना हो, कोई प्रोजेक्ट बनाना हो, कोई एप्लीकेशन बनानी हो, कोई कोडिंग करनी हो सभी के लिए इंटरनेट पर AI टूल उपलब्ध है।
देखा जाए तो ये AI टूल धीरे-धीरे हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बनते जा रहे हैं, इसी श्रृंखला में डेनमार्क के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा AI टूल तैयार किया है, जो यह बता देगा की कौन इंसान कितने दिन जिएगा ।
वैज्ञानिकों का यह प्रोजेक्ट अभी टेस्टिंग फेज में चल रहा है डेनमार्कके वैज्ञानिकों ने करोड़ों लोगों का डाटा जमा किया है ताकि उसे डाटा का प्रयोग करके एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल को और एक्यूरेट कर सके। वैज्ञानिकों ने कहा इस प्रोजेक्ट का मकसद लोगों को तकनीक की ताकत और संभावित खतरों के बारे में जागरूक करना है ।
लाइफ टू वेक (life2vec) इस AI टूल का नाम है, इस टूल को लोगों का डाटा प्रोवाइड किया जा रहा है जिसे एनालिसिस करके ये टूल पैटर्न की गहराइयों को समझ सके, वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि क्या यह प्रोग्राम स्वास्थ्य और सामाजिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा सकते हैं ।
इस यूनिवर्सिटी में हो रहा है इस AI टूल का विकास-
डेनमार्क टेक्निकल यूनिवर्सिटी मैं इस टूल को प्रशिक्षित किया जा रहा है,इस शोध की एक रिपोर्ट ‘नेचर कंप्यूटेशनल साइंस’ में प्रकाशित हुई है।
AI टूल डेवलपर टीम में से में प्रोफेसर जूने लेहमान कहते है – “मानव जीवन के बारे में भविष्यवाणी के लिए यह एक सामान्य संरचना है.”
लेहमान कहते है “अगर आपके पास ट्रेनिंग डेटा है तो यह किसी भी चीज का अनुमान लगा सकता है. यह स्वास्थ्य के बारे में भविष्यवाणी कर सकता है. बता सकता है कि आप मोटे होंगे या आपको कैंसर हो सकता है अथवा नहीं.”
ये भी पढ़े –
जानिए संचार साथी के बारे में, किस प्रकार आप इसका उपयोग करके अपने एरिया के सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
व्हाट्सएप का यह नया फीचर बढ़ा देगा आपकी प्राइवेसी को, क्या आपको यह फीचर अभी तक मिला, जाने इसके बारे में
50MP कैमरे वाला ये स्मार्ट फ़ोन आ रहा है सिर्फ 6,499 में Bank Discount Extra, देखिए कौन सा है यह फोन
आगे लेहमान कहते हैं, “एक लिहाज से इंसान का जीवन कुछ घटनाओं का सिलसिला होता है. लोग जन्मते हैं, डॉक्टर के पास जाते हैं, स्कूल में जाते हैं, नई जगहों पर बसते हैं, शादी करते हैं आदि.”
यह AI टूल वैसे ही एल्गोरिथम पर काम करता है, जैसे CHAT GPT काम करता है, लेकिन यह इंसान के जन्म, शिक्षा, सामाजिक स्थिति, उसके द्वारा किए जाने वाले काम, और जीवन शैली का विश्लेषण करता है ।
डेवलपर की टीम इस इस AI टूल का विकास उसे इन सभी जानकारी के आधार पर भविष्यवाणी करना सीख रही है ।
मृत्यु की भविष्यवाणी करेगा ये
वैज्ञानिक टीम का मानना है कि इस टूल का एल्गोरिथम अब तक के किसी भी अन्य एल्गोरिथम से ज्यादा कामयाब है वह आगे कहते हैं- “हम कम उम्र में होने वाली मौतों को आंकते हैं. इसलिए हम 35 से 65 साल तक के लोगों का समूह लेते हैं. फिर हम 2008 से 2016 के बीच के आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं कि अगले चार साल में किसी व्यक्ति की मृत्यु होगी या नहीं.”
वैज्ञानिकों के मुताबिक 35 से 65 वर्ष की आयु वर्ग में मृत्यु दर सबसे कम होती है, इसलिए उनके द्वारा तैयार किए गए इस एल्गोरिथम का सत्यापन करना आसान है ।
इंटरनेट पर अभी उपलब्ध नहीं
यह टूल अभी तक इंटरनेट पर आम जनता के द्वारा उपयोग लेने के लिए उपलब्ध नहीं है, क्योंकि यह अभी डेवलपमेंट फेज में है, और इस बात का अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि यह भविष्य में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगा ।
इस AI टूल के डेवलपर का कहना है कि यह सॉफ्टवेयर पूर्ण रूप से प्राइवेट है, और इंटरनेट पर इसे अभी रिलीज नहीं किया जाएगा ।
शोध का आधार
किसी भी AI टूल को तैयार करने के लिए उसे बहुत सारा डाटा प्रोवाइड किया जाता है, जिसे वह समझ कर बार-बार दोहरा कर, गलतियां कर कर, गलतियों को सुधार कर, अपने आप को ट्रेन करता है ।
‘लाइफ2वेक’ AI टूल का आधार डेनमार्क के 60 लाख लोगों का वह गोपनीय डाटा है, जिस देश की आधिकारिक एजेंसी स्टैटिस्टिक्स डेनमार्क ने जमा किया है और शोधकर्ताओं को उपलब्ध करवाया है । इस डाटा का विश्लेषण कर जीवन की विभिन्न घटनाओं का पूर्ण अनुमान लगाया जा सकता है ।
इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान लगाने की कोशिश की तब इस टूल ने 78% मृत्यु का पूर्वानुमान सही लगाया। इसके अलावा इस टूल ने यह अनुमान भी लगाया कि कोई व्यक्ति एक शहर छोड़ कर दूसरे शहर या दूसरी जगह बसेगा या नहीं, इसका पूर्वानुमान लगाने में इस AI टूल को 73% सफलता मिली है।
सारांश- भविष्यवाणी करना भारत की संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है, वर्तमान समय में हम इस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं, लेकिन हमारे पूर्वज गणितीय गणना के आधार पर भविष्यवाणी किया करते थे, जिनका प्रमाण हमें कई जगह देखने को मिलता है । यह टेक्नोलॉजी अभी प्रशिक्षण से गुजर रही है, और इसकी प्रमाणिकता और ज्यादा विश्वसनीय तभी होगी जब इसे बहुत ज्यादा संख्या में लोगों का डाटा दिया जाएगा जिसके आधार पर यह अपने आप को ट्रेन करेगी ।
इस पोस्ट में हमने ‘लाइफ2वेक’ AI टूल के बारे में जाना, जो कि भविष्य में हमारी भविष्यवाणी कर देगा और हमें आगाह कर देगा कि हमारी मृत्यु किस कारण हो सकती है। अगर यह पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें।