Navratri अबकी बार पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा जानिए सारी जानकारी

शारदीय नवरात्रि का आरंभ इस बार 3 अक्‍टूबर से हो रहा है और इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी पर होगा। मां दुर्गा हर बार अलग-अलग सवारी पर सवार होकर आती हैं।

पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

नवरात्रि में मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर, यह इस पर निर्भर करता है कि नवरात्रि का शुभारंभ किस दिन से हो रहा है। मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि का आरंभ होता है तो मां दुर्गा की सवारी अश्‍व यानी कि घोड़ा मानी जाती है। यदि नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार को आरंभ होती है तो मां दुर्गा की सवारी डोली और पालकी मानी जाती है। यदि मां दुर्गा रविवार और सोमवार को आती हैं तो उनकी सवारी हाथी होती है। जो कि सबसे शुभ मानी जाती है।

नवरात्रि कब से कब तक हैं

Navratri DayDateWeekdayPujaNavratri Colour
Day 13rd October 2024ThursdayGhatasthapana, Shailputri PujaYellow
Day 24th October 2024FridayChandra Darshana, Brahmacharini PujaGreen
Day 35th October 2024SaturdaySindoor Tritiya, Chandraghanta PujaGrey
Day 46th October 2024SundayVinayaka ChaturthiOrange
Day 57th October 2024MondayKushmanda Puja, Upang Lalita VratWhite
Day 68th October 2024TuesdaySkandamata PujaRed
Day 79th October 2024WednesdaySaraswati Avahan, Katyayani PujaRoyal Blue
Day 810th October 2024ThursdaySaraswati Puja, Kalaratri PujaPink
Day 911th October 2024FridayDurga Ashtami, Mahagauri Puja, Sandhi PujaPurple
Day 1012th October 2024SaturdayAyudha Puja, Navami Homa, Vijayadashami, Durga VisarjanN/A

कलश स्थापना का मुहूर्त 2024 (Shardiya Navratri 2024 Kalash sthapana Muhurat)

नवरात्रि के पहले दिन यानी 3 अक्टूबर को कलश स्थापना करने के साथ-साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी और व्रत रखा जाएगा. इस वर्ष घट स्थापना यानी कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह के 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही कलश स्थापना के लिए एक और शुभ मुहूर्त है, जो कि अभिजित मुहूर्त है, ये सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 47 मिनट रहेगा. इस दौरान कलश स्थापना की जा सकती है.

दुर्गा मां की आरती 
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। 
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी,…।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को। 
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।
जय अम्बे गौरी,…।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।
जय अम्बे गौरी,…।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। 
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। 
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती। 
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी,…।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे। 
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
जय अम्बे गौरी,…।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। 
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी,…।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू। 
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी,…।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। 
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
जय अम्बे गौरी,…।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी। 
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। 
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै। 
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

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